Pages

Ads 468x60px

Saturday, April 3, 2010

पहली बरसात !!



हवाओं में ये कैसी सिहरन,
धरती से उठी कैसी भीनी सुगंध !
फिज़ाओं में ये कैसा जादू ,
मन में उठने लगा है ज़ज्बात !
शुष्क धरती के होठों की प्यास बुझाती,
मौसम की ये पहली बरसात !

पहली बारिस की मधुर नाद में,
आद्र हों उठा है मन !
ह्रदय वीणा के मौनबद्ध तार को ,
झनझना देते हैं बार - बार !
हवाएं सरगोशी से कुछ कहने सी लगी है ,
ये कैसा नशा है.... कैसा है ये जादू !.....
क्यों धड़कता दिल, हो रहा है बेकाबू !

सांसे थाम कर बैठे हैं हम ,
ये दिल थामकर बैठे हैं हम!
अब तो कह दो, ..कह दो ...
क्यों हों तुम ऐसे,
कि तुम्हे सजदा करने को बैठे है हम
...!!
 

Sample text

Sample Text

Right Click Lock by Hindi Blog Tips

Sample Text

 
Blogger Templates