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Thursday, December 22, 2011

अपनों का शिकार - एक बेजुबान मासूम .



यूँ ही एक खुशनुमा सुबह को एक नन्हे-से बच्चे ने एक शिशु श्वान-शावक को सड़क पर अंगडाई लेते हुए देखा ... अभी उसकी आँख भी नही खुली थी ..... बच्चे को प्यार आया और उस श्वान-शावक को वह गोद में उठाकर अपने घर ले आया ..... कालोनी के नन्हे बच्चो ने मिलकर उसका प्यार से नाम रखा "ब्रावनी" !!

बच्चे के साथ ब्रावनी भी बढ़ने लगा .... कुछ गस्सैल-सा , उलझे प्रकृति का श्वान निकला वह ..... लेकिन प्यार की भाषा और कालोनी के लोगो को बखूबी पहचानता था ..... सभी लोगो को सुबह वह कुछ कदम तक छोड़ने वह जरुर जाता था .....मेरे भी बाईक के पीछे वह चौराहे तक भागते हुए आता था ...उसको लाने वाले बच्चे भी बड़े हो चुके है ... वे गाहे -बगाहे उसे पीट भी देते थे ..... लेकिन ब्रावनी अपनी स्वामी-भक्ति कभी नही भुला .....!!

वह कालोनी के बाहर के लोगो का उस एरिये में अकेले आ पाना बहुत मुश्किल कर देता था ....उसकी वजह से कालोनी में चोरो के कदम नही पड़ पाते थे...... यही कारण था की वह बहुत से लोगो के आँख की किरकिरी भी बना हुआ था .... !

आज शाम को मेरे पीछे बाईक के पीछे किसी के कदमो की आवाज़ नही आई .... मेरे आँखे घर लौटते वक्त भी उसे ढूंढ़ रही थी ...... आखिर रहा नही गया ..... मैंने अभी बच्चो को बुलाकर पूछा ..... पता चला की अब 'ब्रावनी' इस दुनिया में नही रहा .... दोपहर में उसे म्युनिसपालिटी की गाडी उसे उठाकर ले गई ..... बीती रात किसी ने उस मासूम को "ज़हर" खिला दिया था .!

इस समय कालोनी में जाने कितने श्वान घूम रहे है .... जाने कितने बाहरी आ-जा भी रहे है .... लेकिन उन्हें टोकने वाली आवाज खामोश हो चुकी है !

_______________किरण श्रीवास्तव दिनांक २१-१२-२००११...११:३७ रात्रि
 

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