Pages

Ads 468x60px

Tuesday, February 28, 2012

खुशनुमा एहसास !


बीती रात की बात है ... लगभग एक बजे होंगे .... मैं पढ़ रही थी तभी मुझे बाहर एक पिल्ले की जोर से चीख सुनाई पड़ी ..... उसके पीछे-पीछे उसके अन्य-भाई बहन भी उसके चीखने लगे .... पिल्लो का ये करुण-क्रंदन सुनकर मुझे बेचैनी सी होने लगी ..... अकुलाहट में मैं तुरंत दरवाजा खोल बालकनी में आई ..... मैंने देखा की कालोनी का मेन गेट जो की छड वाला है , बंद है ..... गेट के अन्दर की तरफ श्वानो के ये मासूम छौने थे तो गे के दूसरी तरफ उनकी माँ ..... दोनों ही एक दुसरे से मिलने के लिए व्याकुल हो रहे थे ...... बच्चो का करुण क्रंदन जारी था .... गेट को खरोचते हुए दोनों तरफ से मिलने की नाकाम कोशिश हो रही थी ...... मुझसे ये दृश्य देखा नही जा पा रहा था ..... इतनी रात को घर से बाहर आने की भी हिम्मत नही हो रही थी ..... उनका करुण- क्रंदन मुझे बेचैन भी कर रहा था ...... इस समय अगर नानी को जगाती तो वो इतनी रात को " किरण चालीसा " शुरू कर देती ...... मैं मन ही मन ईश्वर से उनकी सहायता के लिए प्रार्थना करने लगी ...... अभी - मिनट ही बीते होंगे की तभी एक बन्दा जो की शायद देर रात की ड्यूटी करके लौटा होगा , बाईक से आया ..... उसने जैसे ही गेट खोला , माँ-बच्चे आपस में मिलकर किलक उठे ...... उनका एक-दुसरे के साथ खेलते हुए किलकना देखकर मेरा भी मन प्रफुल्लित हो उठा ..... मैंने चैन की सांस ली .... और घर में आकर सो गई !!
किरण Copyright ©... २१:23 ...26-8-2011

2 comments:

  1. संवेदनाएं हर किसी में होती हैं, फिर वह जानवर ही क्‍यों न हो...।

    ReplyDelete
  2. वाकई खुशनुमा अहसास रहा होगा...

    ReplyDelete

 

Sample text

Sample Text

Right Click Lock by Hindi Blog Tips

Sample Text

 
Blogger Templates